तुम आना, मुझसे मिलना,
ताकि मैं ख़ुद से मिल सकूँ
बीन लेना अपनी उँगलियाँ मेरी उँगलियों में
कहना मुझसे मेरे बारे में यूँ ही कुछ
तुम्हारे स्पर्श से मैं दोबारा जी सकूँ।
तुम उठना, मुझसे आगे चलना,
ताकि मैं तुम्हारी चली मिट्टी पे अपने पाँव रख सकूँ,
हाथ थाम कर मेरा, ले जाना मुझे,
दिखाना वो सारे रास्ते जिन पर चलकर
प्रेम तक पहुँचा जा सकता है।
तुम चखना, मुझसे मेरा कड़वापन,
ताकि मैं नफ़रत का स्वाद भूल सकूँ
जला देना मेरे अंतस् में गढ़ी रीतियों को,
मुझे दिखाना, कुरूपता केवल हमारे विचारों में है।
तुम बाँटना, मुझसे मेरा एकाकीपन,
ताकि मैं अपने अनचाहे हिस्से को त्याग सकूँ
बताना ऐसे रंग मुझे, के मालीनता अपनी मैं पोत सकूँ
लिख सकूँ कि ये दुनिया कितनी सुंदर है।
तुम चलना, मुझसे आगे-आगे चलना,
रास्ते के काँटे न चुनना,
केवल लिखते जाना हमारा प्रेम हवाओं में
ताकि मैं उदास दिनों में फिर आऊँ इसी रास्ते पे,
छू कर उसी हवा को गुनगुना सकूँ हमारी बातें।
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