Aug 41 min readतब मैं लिख देती हूँ कुछ कहने में जब उलझन होती है, तब मैं लिख देती हूँ llजज्बातों को जब घुटन होती है, तब मैं लिख देतीहूँ llकलम जब अपना संतुलन खोती है, तब मैं लिख देतीहूँ llख्वाब टूटने पर जब चुभन होती है, तब मैं लिख देती हूँ llसुख-दुख की जब अंजुमन होती है, तब मैं लिख देती हूँ ll
कुछ कहने में जब उलझन होती है, तब मैं लिख देती हूँ llजज्बातों को जब घुटन होती है, तब मैं लिख देतीहूँ llकलम जब अपना संतुलन खोती है, तब मैं लिख देतीहूँ llख्वाब टूटने पर जब चुभन होती है, तब मैं लिख देती हूँ llसुख-दुख की जब अंजुमन होती है, तब मैं लिख देती हूँ ll
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