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तब मैं लिख देती हूँ

कुछ कहने में जब उलझन होती है,

तब मैं लिख देती हूँ ll


जज्बातों को जब घुटन होती है,

तब मैं लिख देतीहूँ ll



कलम जब अपना संतुलन खोती है,

तब मैं लिख देतीहूँ ll


ख्वाब टूटने पर जब चुभन होती है,

तब मैं लिख देती हूँ ll


सुख-दुख की जब अंजुमन होती है,

तब मैं लिख देती हूँ ll

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