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जद्दोजहद

  • Writer: Shivam Srivastava
    Shivam Srivastava
  • Aug 4, 2024
  • 1 min read

कभी-कभी नींद बेवजह ही गायब होती है और हम वजह तलाश रहे होते हैं ऐसा नहीं है की कोई वजह ही हो पर खाली मन अक्सर बेतुकी की बातें सोचने लगता है, फिर शुरू होता है जद्दोजहद का सिलसिला, जिसमें हम खुद के साथ साथ अपने अतीत, भविष्य तथा वर्तमान तीनों का मूल्यांकन करने लगते हैं,

खैर जिंदगी के इतने मौसम देखने के बाद यह बात तो समझ आ गई है की मायूसी किसी वक्त और किसी वजह की मोहताज नहीं होती है मायूसी को जब छाना होता है वह बेवजह ही छा जाती है लेकिन खुशियों के साथ ऐसा नहीं होता है खुशियां वजह और वक्त दोनों की मोहताज होती है।

खैर करने को बहुत सारी बातें हैं, लेकिन फिर कभी, आज तो बस मैं और यह तन्हाई वाली वीरान राते ही एक दूसरे के साथी हैं

 
 
 

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