- Aug 4
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तुम आना
तुम आना, मुझसे मिलना, ताकि मैं ख़ुद से मिल सकूँ बीन लेना अपनी उँगलियाँ मेरी उँगलियों में कहना मुझसे मेरे बारे में यूँ ही कुछ तुम्हारे...
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- Aug 4
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तब मैं लिख देती हूँ
कुछ कहने में जब उलझन होती है, तब मैं लिख देती हूँ ll जज्बातों को जब घुटन होती है, तब मैं लिख देतीहूँ ll कलम जब अपना संतुलन खोती है, तब...
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- Aug 4
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Ye Log
कुछ हंसा जातें हैं कुछ रुला जाते है कभी अजनबी को अपना बना जाती है कभी अपने को अजनबी बना जाती हैं यूँ ही मिलते हैं बहुत लोग सफ़र में याद...
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- Aug 4
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आज से तुम्हारी यादों को अपने मन से ही मिटा देंगे
आज से तुम्हारी यादों को अपने मन से ही मिटा देंगे कभी याद न आए तुम्हारी अपने मन को समझा देंगे। अक्स मन के आइने के,उनको धज्जी-धज्जी किया उन...
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- Aug 4
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Bas Chal...
कहते हैं ना मंज़िलो तक ले जाने वाले सफर बहोत खूबसूरत होते हैं सच ही है कभी कभी हम चलते तो जाते हैं मगर हमे हमारे मंज़िलो की कोई खबर नही...
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- Aug 4
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Bola na kuch khaas nahi ho
Kuch khaas nahi ho tum bus mere Maggi ka wo last packet ho tum jo hum chahte hain wo kabhi khatm hi na ho Tum bus ek butterscotch...
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- Aug 4
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शुक्रिया ज़िन्दगी
शुक्रिया ज़िन्दगी जो भी मिला है उसको क़ुबुल कर जिस पर हक़ नहीं तुम्हारा उसे भूल कर अधूरी खवाइसों का पूरा होने का यकिन रख अपने हिस्से का...
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